सरिता शब्दार्थ: विमल स्वच्छ, साफ निनाद ध्वनि विह्वल व्याकुल वसुधा पृथ्वी वत्सल पुत्रवत स्नेह करने वाला रजनी रात अन्तस्तल हृदय अविरल निरन्तर, लगातार सरिता शब्दार्थ: यह लघु सरिता, …………………… का बहता जल॥ संदर्भ – ‘यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वाटिका’ के ‘सरिता’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता गोपाल सिंह ‘नेपाली’ हैं। प्रसंग –… Continue reading सरिता Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
Category: Class 5 Hindi Vatika
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मेरी शिक्षा Class 5 Hindi Vatika Chapter 3
प्रस्तुत पाठ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जी की ‘आत्मकथा’ से लिया गया है। इन्हें पाँचवें या छठे वर्ष में मौलवी द्वारा फारसी पढ़वाना शुरू किया था। इनके दो और चचेरे भाई थे। इनमें यमुना प्रसाद लीडर थे, जो तमाम खेलों और शैतानी में आगे थे। इनके चचा बलदेव प्रसाद बहुत मजाकिया थे। वे घुड़सवारी, बन्दूक व गुलेल चलाना अपने पिता जी की तरह ही जानते थे। मौलवी साहब विचित्र आदमी थे। वे बलदेव चाचा द्वारा अपना मजाक उड़वाते रहते थे। अपने दावे के अनुसार उन्हें शतरंज खेलना आता था, परन्तु खेल में वे जीतते कभी नहीं थे।
पंच परमेश्वर Class 5 Hindi Vatika Chapter 2
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी बहुत गहरे मित्र थे। जुम्मन की खाला ने अपनी जायदाद जुम्मन के नाम कर दी थी। रजिस्ट्री होने के बाद जुम्मन और उसकी बीबी करीमन खाला को परेशान करने लगे। खाला ने जुम्मन की शिकायत कर दी। मामला पंचायत में गया। अलगू चौधरी को सरपंच बनाया गया। अलगू चौधरी ने फैसला सुनाया, “खालाजान को माहवार खर्च दिया जाए, नहीं तो रजिस्ट्री रद्द समझी जाए।”
विमल इन्दु की विशाल किरणें Class 5 Hindi Vatika Chapter 1
विमल इन्दु की विशाल किरणें
प्रकाश तेरा बता रही हैं
अनादि तेरी अन्नत माया
जगत् को लीला दिखा रही हैं