गुरुनानक देव जीवन परिचय 2023 (जीवनी, जयंती, दोहे, पद, रचनायें, अनमोल वचन, उपदेश, पूण्यतिथि, शिष्य, विचार, गुरु, कहानी) (Guru Nanak Biography in hindi, Jeevani , Guru nanak Jayanti kab hai , Quotes Meaning, Birth, death, family, stories, teachings)
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गुरु नानक के जीवन से सच्चे गुरु की सीख मिलती है, जो मानव जाति को दिशा देते हैं वरना तो वर्तमान युग ने गुरुओं की परिभाषा ही बदल कर रख दी हैं|
गुरु नानक साहिब जो सिक्ख समाज के संस्थापक कहलाते हैं. उनके जन्म दिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में प्रति वर्ष सिक्ख समाज बड़े उत्साह से मनाता हैं.यह पर्व पाकिस्तान में भी उत्साह से मनाया जाता हैं. गुरुनानक साहिब का जन्म स्थान वर्तमान समय में पाकिस्तान में हैं | ऐसे तो यह सिक्ख समाज के गुरु कहे जाते हैं, लेकिन इन्हें किसी धर्म जाति ने बांध कर नहीं रखा था. ये इसके खिलाफ थे| इनका मनाना था, ईश्वर कण- कण में व्याप्त हैं| जहाँ हाथ रखोगे वहीँ ईश्वर हैं | इनके अनमोल विचारों में सभी धर्मो का आधार था | इसी कारण इन्हें एक गुरु के रूप में सभी धर्मो द्वारा पूजा जाता हैं|
गुरु नानक जयंती के दिन पूरे भारत देश में छुट्टी रहती हैं. वर्ष 2014 से पाकिस्तान में भी यह छुट्टी दी जाने लगी|
गुरु नानक जयंती 2023 में कब हैं? (Guru Nanak Jayanti Date)
यह जयंती कार्तिक मास की पूर्णिमा को बड़े उत्साह से पुरे देश में मनाई जाती हैं. इस दिन प्रभात फेरी निकाली जाती हैं. ढोल ढमाकों के साथ पूरा सिक्ख समाज इसे मनाता हैं. जश्न कई दिनों पहले से शुरू हो जाते हैं कीर्तन होते हैं, लंगर किये जाते हैं. गरीबों के लिए दान दिया जाता हैं. सबसे महत्वपूर्ण यह जयंती घर में एक परिवार के साथ नहीं पूरे समाज एवम शहर के साथ हर्षोल्लास से मनाई जाती हैं |
गुरु नानक के जीवन से जुड़ी जानकारी :
जब गुरु नानक देव का जन्म हुआ था, तब कहा जाता हैं वह प्रसूति ग्रह प्रकाशवान हो गया था | इनका धार्मिक ज्ञान इस तरह प्रबल था, कि इनके शिक्षक ने इनके आगे हार मान ली थी |
जन्म | 15 अप्रैल 1469 |
पूण्यतिथि | कार्तिकी पूर्णिमा |
जन्मस्थान | तलवंडी ननकाना पाकिस्तान |
मृत्यु | 22 सितंबर 1539 |
मृत्यु स्थान | करतारपुर |
पिता का नाम | कल्यानचंद मेहता |
माता का नाम | तृप्ता देवी |
पत्नी का नाम | सुलाखनी |
शादी तारीख | 1487 |
बच्चे | श्रीचंद, लक्ष्मीदास |
प्रसिद्ध | प्रथम सिक्ख गुरु |
रचनायें | गुरु ग्रन्थ साहेब, गुरबाणी |
गुरु का नाम | गुरु अंगद |
शिष्य के नाम | 4 – मरदाना, लहना, बाला एवं रामदास |
विश्राम स्थान (Vishram Sthan) | गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर, पाकिस्तान |
मौत का स्थान (Death Place) | करतारपुर (वर्तमान में पाकिस्तान) |
गुरु नानक देव जी स्वभाव से बहुत ही दयालु एवम कोमल थे. सांसारिक गतिविधियों में इनकी रूचि अधिक नहीं थी, इसलिए उन्होंने घर छोड़ दिया. पर्यटन करते हुए देश भ्रमण किया और अपने विचारों को दुनियाँ के सामने रखा. उस वक्त इनकी विचार धारा ने नयी सोच को जन्म दिया था. ये मूर्ति पूजा विरोधी थे. धार्मिक कर्म कांड के बजाय सरल एवम सत्य आचरण को ही ईश्वर की भक्ति कहते थे.
इन्होने भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कई स्थानों पर जाकर मनुष्य जाति को ईश्वर से परिचय करवाया. सदेव एकता एवम समरूपता का ज्ञान दिया. उनकी एक कथा सदैव याद रखी जाती हैं
गुरु नानक का जन्म और प्रारंभिक जीवन (Guru Nanak’s Birth and Early Life)
गुरु नानक देव का जन्म रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक गांव में एक खत्री कुल में हुआ था. इनकी जन्म तिथि को लेकर आज भी इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ इतिहासकारों के अनुसार इनकी जन्म तिथि 15 अप्रैल 1470 है परंतु वर्तमान समय में उनकी जन्म तिथि कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. इनकी एक बड़ी बहन नानकी थी. अपने बचपन में गुरु नानक देव ने कई प्रादेशिक भाषाएं जैसे फारसी और अरबी आदि का अध्ययन किया.
नानक जब 5 वर्ष के थे तब उनके पिता ने उन्हें हिंदी भाषा और वैदिक साहित्य का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्हें पंडित गोपाल दास पांडे के यहां भेजा. नानक बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और चंचल स्वभाव के थे. पंडित गोपाल दास बालक नानक की बुद्धिमत्ता और योग्यता से काफी प्रसन्न थे. एक दिन जब वे अभ्यास के दौरान नानक से ओम शब्द का उच्चारण करवा रहे थे. तो बालक नानक ने उनसे ओम शब्द का अर्थ पूछ लिया. पंडित गोपालदास पांडे ने नानक को कहा की ओम सर्व रक्षक परमात्मा का नाम है.
बालक नानक ने गोपालदास पांडे से कहा कि पंडित जी मेरी मां ने परमात्मा का नाम “सत करतार” बताया है. इस पर पंडित जी ने बालक नानक को कहा कि परमात्मा को हम अनेक नामों से पहचानते हैं. इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है.
गुरु नानक देव की कहानी (Guru Nanak Story)
पर्यटन के समय जब गुरु नानक देव मक्का पहुँचे, तब कुछ देर वहाँ विश्राम के लिए रुक गए और एक पेड़ के नीचे सो गये. जब इनकी नींद खुली, तो कुछ लोग इनके चारों तरफ खड़े थे, उन्होंने पूछा तुम कौन हो और ऐसे कैसे अपने पैर पवित्र काबा की तरफ करके सोये हो ? अभी के अभी अपने पैर हटा दो. तब नानक जी ने कहा भाई जिस दिशा काबा न हो, उस तरफ मेरे पैर घुमा दो.
उन लोगो ने पैर घुमा दिये, जिस तरफ पैर घुमाते उसी तरफ काबा दिखाई देने लगता. जितनी बार वो ये करते उन्हें हर जगह काबा ही दिखाई पड़ रहा था. इस पर गुरु नानक देव ने कहा – बेटा इस संसार के हर कोने में खुदा का वास है. तुम जहाँ देखो वही खुदा हैं. इस प्रकार गुरु नानक देव की ख्याति फैलने लगी थी|
गुरु नानक देव के समय इब्राहीम लोदी का काल था, वो तानाशाही था. हिन्दू मुस्लिम लड़ाई करवाता था. इस पर नानक देव सभी को एक राह दिखाते थे. कहते हैं ईश्वर उपरी पहनावे एवम धार्मिक कर्मों से प्रभावित नहीं होता, वह तो आतंरिक मन की शुद्धता देखता हैं. उनके इस विचारों के कारण उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन इब्राहीम लोदी को हार का सामना करना पड़ा और बाबर की हुकुमत ने भारत में दस्तक दी. बाबर एक अच्छा शासक माना जाता हैं. शायद इसलिए बाबर ने नानक देव को आजाद कर दिया.
गुरु नानक देव के ये विचार, बदल देंगे आपके जीने का नजरिया
गुरु नानक देव ने अपने जीवन का लंबा काल यात्राएं (उदासियां) करने में व्यतीत किया था। इस दौरान उन्होंने कई तीर्थ स्थलों का दर्शन किया और लोगों को जागरुक किया। उन्होंने हमेशा समाज में उपस्थित कुरीतियों का विरोध किया। पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में जन्मे गुरु नानक देव जी ने लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाया। 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन जन्मे गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म को स्थापना की। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन हम आपको उनके विचारों के बारे में बता रहे हैं.
1. सदैव एक ईश्वर की उपसाना करो।
2. ईश्वर एक है।
3. जिसे अपने आप पर विश्वास नहीं है, वह कभी भी भगवान में विश्वास नहीं कर सकता है।
4. केवल वही बोलें, जो आपको सम्मान दिलाए।
5. मृत्यु को बुरा नहीं कहा जाएगा, अगर कोई जानता है कि वास्तव में कैसे मरना है।
6. यह दुनिया सपने में रचे हुए एक रंगमंच के समान है।
7. दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस भ्रम में न रहे कि बिना गुरु के ज्ञान के भवसागर को पार किया जा सकता है।
8. ना मैं बच्चा हूं, ना एक युवक हूं, ना पौराणिक हूं और ना ही किसी जाति से हूं।
9. यह दुनिया कठिनाइयों से भरी है, जिसे खुद पर भरोसा है, वही विजेता कहलाता है।
10. जिन्होंने प्रेम किया है, उन्होंने ईश्वर को पाया है।
11. जो लोग अपने घर में शांति से जीवन व्यतीत करते हैं, उनका यमदूत भी कुछ नहीं कर पाते हैं।
12. उसकी चमक से ही सम्पूर्ण जगत प्रकाशवान है।
13. ईश्वर एक है, उसके रूप अनेक हैं।
14. भ्रम का हमें त्याग कर देना चाहिए।
15. चिंता से दूर रहकर अपने कर्म को करते रहना चाहिए।
16. अपने मेहनत की कमाई से जरूरतमंद की भलाई भी करनी चाहिए।
17. बुरे कार्य करने के बारे में ना सोचें और न किसी को सताएं।
18. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
19. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए।
20. माया को जेब में ही स्थान देना चाहिए, अपने हृदय में नहीं।
गुरु नानक देव की मृत्यु (Guru Nanak’s Death)
अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, गुरु नानक हिंदुओं और मुस्लिम दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए थे. उनके आदर्श ऐसे थे कि दोनों समुदायों ने इसे आदर्श माना. अपने जीवन के अंतिम दिनों में गुरु नानक बहुत लोकप्रिय हो गए थे. गुरु नानक ने करतारपुर नामक नगर बसाया था और वहां एक धर्मशाला (गुरुद्वारा) बनवाया था. 22 सितंबर 1540 में गुरु नानक देव का निधन हो गया. अपनी मृत्यु के पहले उन्होंने अपने परम भक्त और शिष्य लहंगा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए.
FAQ
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गुरु नानक कौन थे और उनका जन्म कहां हुआ था?
मान्यताओं मुताबिक, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। उनका जन्म सन् 1469 में पंजाब प्रांत के तलवंडी में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है। नानक जी के जन्म स्थान को अब नानकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह स्थान काफी पवित्र माना जाता है।